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गैस-ओ-रैक्स कैप्सूल: एक संपूर्ण आयुर्वेदिक समाधान आपके पाचन तंत्र के लिए

Gas-O-Rax

लेखक: जय देव सिंह (M.Sc. Biochemistry, M.B.A)

डायरेक्टर, रैक्सन लाइफ साइंसेज

हमारी आधुनिक जीवनशैली और असंतुलित आहार ने पाचन तंत्र पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाला है। इससे एसिडिटी, गैस, अपच और पेट में भारीपन जैसी समस्याएं सामान्य हो गई हैं। अक्सर, लोग इन समस्याओं के लिए एलोपैथिक दवाओं, विशेषकर प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (PPIs) का सहारा लेते हैं, लेकिन इन दवाओं के दीर्घकालिक दुष्प्रभाव भी होते हैं। रैक्सन लाइफ साइंसेज ने इस चुनौती का समाधान आयुर्वेदिक तरीके से तैयार किया है, जो प्राकृतिक रूप से पाचन स्वास्थ्य को पुनः संतुलित करने में सहायक है।

गैस-ओ-रैक्स कैप्सूल के सभी अवयव प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों पर आधारित हैं, जो पाचन तंत्र की सुरक्षा और शक्ति प्रदान करते हैं। आइए, इसके हर एक घटक और उनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

गैस-ओ-रैक्स कैप्सूल के प्रमुख अवयव और उनके लाभ

  1. मुक्ता शुक्ति पिष्टी (Pearl paste) – 100mg

शुक्ति पिष्टी आयुर्वेद में पाचन तंत्र को मजबूत करने और पेट की अम्लता को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाती है। इसके ठंडे और क्षारीय गुण पेट में बनने वाले एसिड को तटस्थ करते हैं, जिससे गैस्ट्रिक समस्याओं में राहत मिलती है।

  1. मुलैठी (Glycyrrhiza glabra) – 75mg

मुलैठी का मुख्य काम पेट और आंतों की सूजन को कम करना है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट की सुरक्षा करते हैं और अल्सर से बचाव करते हैं।

  1. शंख भस्म (Conch shell ash) – 70mg

शंख भस्म के क्षारीय गुण पाचन तंत्र में बनने वाली अम्लता को तटस्थ करते हैं। यह गैस और अपच को कम करने में मदद करता है और पाचन क्रिया को सुधारता है।

  1. शालमली रेजिन (Salmalia malabarica resin) – 60mg

यह रेजिन पेट की मरोड़ और गैस्ट्रिक परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है। यह आंतों को शांत करता है और पेट की जलन को कम करता है।

  1. आँवला (Phyllanthus emblica) – 50mg

आँवला विटामिन सी से भरपूर होता है और पाचन प्रक्रिया को सुधारने के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। यह पेट की अम्लता को कम करता है

  1. हरेड़ (Terminalia chebula) – 50mg

हरेड़ कब्ज को दूर करने और पाचन को सुधारने में मदद करता है। यह पेट के फालतू गैस को खत्म करता है और पाचन क्रिया को सुचारू करता है।

  1. बिल्व (Aegle marmelos) – 50mg

बिल्व दस्त और आंतों की कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। यह आंतों को शक्ति प्रदान करता है और पेट को शांत रखता है।

  1. यवक्षार (Alkali pre. of Hordeum vulgare) – 40mg

यवक्षार का कार्य पेट की अम्लता को कम करना और पाचन तंत्र को संतुलित करना है। यह अपच, गैस और पेट के भारीपन को दूर करता है।

  1. काला नमक (Black salt) – 30mg

काला नमक पाचन में सुधार करता है और गैस को कम करने में सहायक है। यह पेट की गैस्ट्रिक परेशानियों को कम करता है और भूख बढ़ाता है।

  1. पुदीना (Mentha arvensis) – 23mg

पुदीना अपने ठंडे और पाचन-सहायक गुणों के लिए जाना जाता है। यह गैस, मरोड़ और पेट के भारीपन को दूर करता है और पाचन प्रक्रिया को तेज करता है।

  1. सतावरी (Asparagus racemosus) – 20mg

सतावरी आंतों की सूजन को कम करने और पाचन तंत्र को पुनः जीवित करने में मदद करती है। यह पाचन को सुधारने और गैस्ट्रिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

  1. जीरा (Cuminum cyminum) – 20mg

जीरा भूख बढ़ाने और गैस को दूर करने में मदद करता है। यह पाचन क्रिया को सक्रिय करता है और पेट की जलन को शांत करता है।

  1. सौंफ (Foeniculum vulgare) – 20mg

सौंफ पाचन के लिए एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है जो गैस्ट्रिक समस्याओं को दूर करती है। यह पेट में गैस और मरोड़ को कम करती है।

  1. धनिया (Coriandrum sativum) – 20mg

धनिया पेट की अम्लता को कम करता है और आंतों की जलन को शांत करता है। यह अपच और पेट में जलन को दूर करने में मदद करता है।

  1. सौंठ (Zingiber officinale) – 5mg

सौंठ सूजन-रोधी गुणों के लिए प्रसिद्ध है और यह पेट की अम्लता को कम करने में सहायक है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और गैस को दूर करता है।

  1. छोटी पीपली (Piper longum) – 5mg

छोटी पीपली पाचन क्रिया को सुचारू करने में मदद करती है और अपच, गैस और पेट फूलने की समस्याओं को कम करती है।

  1. काली मिर्च (Piper nigrum) – 5mg

काली मिर्च पाचन को तेज करती है और गैस्ट्रिक परेशानियों को दूर करने में सहायक है। यह भूख बढ़ाने और पेट के दर्द को कम करने में मदद करती है।

  1. अजवायन (Trachyspermum ammi) – 5mg

अजवायन पेट की गैस और अपच को दूर करने में मदद करता है। यह पाचन को सुचारू बनाता है और पेट की मरोड़ को शांत करता है।

  1. हींग (Ferula asafoetida) – 2mg

हींग गैस और अपच के लिए बेहद प्रभावी मानी जाती है। यह पेट की मरोड़ को कम करती है और आंतों को स्वस्थ रखती है।

वैज्ञानिक अध्ययन का समर्थन

अध्ययन 1:

 

अध्ययन का शीर्षक: Effectiveness of Herbal Medicines in Treating Gastroesophageal Reflux Disease: A Systematic Review and Meta-Analysis

जर्नल: Journal of Evidence-Based Complementary & Alternative Medicine

लेखक: Lee, J. H., et al.

प्रकाशित: 2020

मुख्य बिंदु: यह अध्ययन बताता है कि मुलैठी और आँवला एसिड रिफ्लक्स के उपचार में अत्यधिक प्रभावी हैं, साथ ही शंख भस्म अम्लता को तटस्थ करने में सहायक है।

 

अध्ययन 2:

अध्ययन का शीर्षक: Efficacy of Amla (Phyllanthus emblica) in the Management of Acid Reflux: A Clinical Study

जर्नल: International Journal of Ayurveda Research

लेखक: Sharma, R., et al.

प्रकाशित: 2018

मुख्य बिंदु: इस अध्ययन में आँवला के उपयोग से एसिड रिफ्लक्स में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। यह पेट की अम्लता को कम करता है और पाचन को बेहतर बनाता है।

 

अध्ययन 3:

अध्ययन का शीर्षक: The Role of Licorice (Glycyrrhiza glabra) in Gastrointestinal Disorders: A Review

जर्नल: Journal of Ethnopharmacology

लेखक: Basak, S. et al.

प्रकाशित: 2019

मुख्य बिंदु: यह समीक्षा बताती है कि मुलैठी का सेवन गैस्ट्रिक अल्सर और सूजन को कम करने में मददगार होता है, जो गैस्ट्रिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

 

अध्ययन 4:

अध्ययन का शीर्षक: Herbal Remedies for Acid Reflux: Efficacy and Safety

जर्नल: World Journal of Gastroenterology

लेखक: Patel, K., et al.

प्रकाशित: 2021

मुख्य बिंदु: यह अध्ययन विभिन्न हर्बल उपायों के प्रभावशीलता और सुरक्षा की समीक्षा करता है, जिसमें शंख भस्म और अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं, जो गैस्ट्रिक स्वास्थ्य में सुधार में सहायक हैं।

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एलोपैथिक प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (PPIs) और उनके दुष्प्रभाव

एलोपैथी में प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (PPIs) का उपयोग अम्लता और एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। हालांकि, इनके लंबे समय तक उपयोग से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:

  1. हड्डियों की कमजोरी

PPIs के कारण शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है, जिससे हड्डियों का कमजोर होना और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

  1. किडनी की समस्याएं

लम्बे समय तक PPIs का उपयोग करने से किडनी की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है, जिससे किडनी की गंभीर बीमारियां होने की संभावना रहती है।

  1. पोषक तत्वों की कमी

PPIs का दीर्घकालिक उपयोग विटामिन बी12 और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी कर सकता है, जिससे कमजोरी, थकान और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं।

  1. आंतों में संक्रमण

PPIs आंतों में बैक्टीरिया का असंतुलन पैदा कर सकते हैं, जिससे पेट में संक्रमण और अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

गैस-ओ-रैक्स कैप्सूल: एक सुरक्षित और प्रभावी समाधान

गैस-ओ-रैक्स कैप्सूल प्राकृतिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण है, जो बिना किसी साइड इफेक्ट्स के आपकी पाचन गैस, जलन और एसिडिटी को कम करने में मदद करता है।

गैस-ओ-रैक्स के मुख्य लाभ:

  1. स्वाभाविक सामग्री: इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो पेट की समस्याओं को बिना किसी दुष्प्रभाव के हल करने में मदद करते हैं।
  2. गैस और सूजन में कमी: यह पेट में गैस और सूजन को कम करने में सहायक होता है।
  3. पाचन में सुधार: यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

गैस-ओ-रैक्स का उपयोग आमतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जिन्हें लंबे समय तक PPIs का उपयोग करने में परेशानी होती है। हालांकि, किसी भी नए उपचार को अपनाने से पहले एक चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

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